मनसा कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य करता था, इसलिए मिट्टी ढोने के लिए उसने कुछ गधे पाल लिए,
मनसा कुम्हार के लड़के का नाम राजू था, राजू आठवीं कक्षा में पढाई करता था,
पर कुछ दिनों से कोरोना महामारी की वजह से राजू का स्कूल भी बंद था, और पर घऱ पर ही रहकर पढाई करता था, एक दिन की बात है कि राजू हिन्दी का पाठ पढ रहा था, उसने अचानक एक मुहावरा पढा एक पंथ दो काज ।
उसके पिताजी चाक पर काम कर रहे थे , उसने पूछा पिताजी एक पंथ दो काज का क्या मतलब होता है ।
इस पर कुम्हार बोला कि यह तो बड़ा आसान सवाल है एक पंथ दो काज का मतलब होता है कि एक साथ दो काम करना । मनसा ने बताया तो राजू ने पूछा इसका कोई उदाहरण देकर समझाइए, उसने कहा बेटा मैं चाक पर काम करते करते बर्तन देखने वालों को बर्तन बेच देता हूँ काम का काम और दाम का दाम । क्या बात है पिताजी आपने एक मुहावरा पढाते हुए दूसरा मुहावरा बता दिया , राजू ने मुस्कुराते हुए कहा ।
उसी समय राजू की माँ बोली कि पढाई करने के बाद इन गधों को जंगल की ओर ले जाना, कुछ देर वहाँ जंगल की घास चर लेगें, वैसे भी आजकर बरसाती मौसम के कारण मिट्टी ढोना बंद है , इसलिए खूँटे में बँधे-बँधे ये भी परेशान हो गए हैं। तो राजू ने कहा कि माँ मुझे पढाई करनी है ।
तो राजू ने कहा कि पढने से तुम्हें कौन मना कर रहा , किताब लिए जाना औऱ वहीं बैठकर पढाई भी कर लेना , गधे चरते भी रहेगें, इस बीच मनसा भी बोल पड़ा कि राजू अभी तूने कौन सा मुहावरा पूछा था,
पिताजी “एक पंथ दो काज ” तो मनसा बोला तेरा माँ भी तो ये कह रही है कि गधों को चराते-चराते पढाई भी करते रहना। वहाँ तुझे कोई टोकेगा भी नहीं, राजू माताजी तथा पिताजी की बात मानकर गधों जंगल चराने निकल पड़ा।
उसमें से एक गधा थोड़ा शरारती था वह चरते चरते खेतों की तरफ चला जाता । गधा कहीं फसल न खराब कर दे उसके लिए राजू ने एक तरकीब निकाली जिससे उसे पढाई में रूकावट न आए , और गधे पर भी निगरानी करता रहे ।
वह अपनी किताब लेकर गधे की पीठ पर बैठ गया और पढने लगा,
आते जाते लोग कहते कि बच्चा हो तो इसके जैसा मेहनती पढाई भी कर रहा है और गधे की रखवाली भी।