कहते हैं कि जेन बौद्ध धर्म का आरंभ बोधिधर्म नामक भिक्षु से हुआ। उन्होंने हुईक नामक शिष्य को अपना उत्तराधिकार सौंपा। एक बार, हुईक ने बोधिधर्म
को अपनी समस्या बताई कि मेरा मन सदा व्याकुल रहता
है। कृपया इसे शांत करने में मेरी मदद करें। बोधिधर्म
ने उत्तर दिया, मैं तुम्हारी व्याकुलता का अंत कर दूंगा।
पर पहले, उसे मेरे पास लाना होगा। यह सुनकर हुईक
को पहली बार कुछ अनुभव हुआ।
‘व्याकुलता’ शब्द उसके दिमाग में था। उसके डर, अमूर्त थे। जो बातें अभी घटी भी नहीं, उनके लिए अभी से परेशान होने की
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आवश्यकता नहीं है। केवल उसके बारे में सोचें जो इस
समय घट रहा है। लगभग सभी चिंताएं अमूर्त होती हैं।
वे आपके अपने ही मन की उपज हैं। सारे दिन अच्छे होते हैं। चाहे अच्छी बातें हों या बुरी, हर दिन अच्छा दिन है क्योंकि यह अमूल्य दिन दोबारा नहीं आएगा। जो भी घटा है या जिससे भी आप मिले हैं, अच्छाई उस पर नहीं,
आपके मन पर निर्भर करती है।
एक घटना की सौ तरह से व्याख्या हो सकती है, यह बात अधिक मायने रखती है कि आप इसके लिए कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। हो सकता है कि जो भी घट रहा हो, आपके भीतर उसे बदलने की ताकत नहीं हो या उस पर आपका वश नहीं हो, परंतु आपकी प्रतिक्रिया से आपके वश में है। हमें हर दिन और आज के अमूल्य दिन को अच्छा दिन बनाना है।
जेन सरल जीवन जीने की कला’ किताब से साभार