खुद से सवाल पूछते रहें कि
आप क्या बेहतर कर सकते हैं
खेल से सबसे जरूरी चीज जो आप सीखते हैं, वह है असफलता को झेलना और हर हार के बाद फिर खड़े होना। बेशक हारने पर, असफल होने पर गुस्सा
आता है।
मुझे याद है मैं अपने खेल के शुरुआती दिनों में गुस्से में रेकेट कोर्ट पर फेंक देता था। इस तरह मैं खुद को हजारों लोगों के सामने शर्मिंदा करता था। लेकिन समय के साथ मुझे समझ आया कि मुझे बदलना होगा।
आज कोर्ट पर चीखने वाले इंसान की जगह मैं शांत इंसान हूं। यह संभव हुआ मेरी इस सोचसे कि हम सीखने के लिए ही हारते हैं। हर हार आपको मजबूत बनाती है। गलतियों से सीखकर ही आप बेहतर से बेहतर बनते जाते हैं।
फिर असफलता पर गुस्सा नहीं आता, बल्कि दिमाग में एक बिजली -सी कौंध जाती है कि हां, मुझे इस क्षेत्र में सुधार की जरूरत है।
खुद से सवाल करते रहना जरूरी है कि हम क्या अच्छा कर सकते हैं, जीवन को, खेल को, काम को कैसे बेहतर बना सकते हैं। मैं जब कई हफ्तों और कई महीनों तक रैंकिंग में पहले पायदान पर रहा, तब भी खुद से यह
सवाल करता रहता था।
क्योंकि मुझे लगता है कि अगर आप कुछ नहीं करेंगे या एक ही चीज को बार-बार करते रहेंगे, तो स्थितियां समान ही बनी रहेंगी,
आप भी वैसे ही बने रहेंगे। इसका मतलब है कि आप आगे नहीं हैं।
और आगे न बढ़ने का मतलब है कि आप पीछे जा रहे हैं।
-रोजर फ्रेडरर के विभिन्न मीडिया साक्षात्कारों से साभार।