छंद की परिभाषा (chhand ki paribhasha)
छंद शब्द में असन् प्रत्यय लगने से बना है। छंद धातु का अर्थ है आह्वलादित करना ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार ” छोटी- छोटी सार्थक ध्वनियों के प्रवाहपूर्ण सामंजस्य का नाम छंद है “
छंद के भेद (chhand ke bhed)
वार्णिक छंद , मात्रिक छंद, मुक्त छंद
वार्णिक छंद
वर्ण गणना के आधार पर रचा गया छंद वार्णिक छंद कहलाता है –
(क ) साधारण – वे वार्णिक छंद जिनमें 26 वर्ण के चरण होते हैं।
( ख) खण्डक – वे वार्णिक छंद जिनमें 26 वर्ण से अधिक वर्ण होते हैं । उसे दण्डक कहा जातै है ।
प्रमुख छंदो का परिचय दीजिए दोहा सोरठा, चौपाई, मात्राएं, सम मात्रिक छन्द , विषम मात्रिक छन्द, बरवै, गीतिका, रामायण, महत्वपूर्ण पूधे गए प्रश्न, मात्राओं की संख्या किसे कहते हैं, chhand in hindi , ullala hindi
1. चौपाई (chaupai chhand)
यह सम मात्रिक छन्द है । इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में 16 मात्राए होती हैं । चरण के अन्त में यति होती है । चरण के अन्त में जगण ( ISI) एवं तगण ( SSI )नहीं होने चाहिए
चौपाई छंद का उदाहरण – ( chaupai ka udaharan )
जय हनुमान ग्यान गुन सागर ।
जय कपीस तेहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ।
2. गीतिका (geetika)
प्रत्येक चरण में 26 मात्राएं होती हैं, 14 और 12 पर यति । चरणान्त में लघुरूप विन्यास आवश्यक होता है ।
गीतिका का उदाहरण ( geetika ka udaharan)
साधु भक्तों में सुयोगी संयंमी बढने लगे।
सभ्यता की सीढियों पर सूरमा चढने लगे।।
3. हरिगीतिका- (harigeetika)
यह मात्रिक सम छन्द है। प्रत्येक चरण में 28 मात्राएं होती हैं। यति 16 और 12 पर होती हैं तथा अन्त में लघु और गुरु का का प्रयोग होता है।
हरिगीतिका का उदाहरण – harigitika ka udaaharan
कहते हुए यूँ उत्तरा के नेत्र जल से भर गए ।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।।
रोला
मात्रिक सम छन्द हैं , प्रत्येक चरण में 24 -24 मात्राएं होती हैं तथा 11 और 13 पर यति होते हैं। प्रत्येक चरण के अन्त में दो गुरु या दो लघु वर्ण होते हैं। दो दो चरणों में तुक आवश्यक होता है ।
रोला का उदाहरण – ( rola ka udaaharan)
नित नव लीला ललित ठानि गोलोक अजिर में ।
रमत राधिका संग रास रस रंग रुचिर में।।
1. दोहा (doha chhand)
यह मात्रिक अर्धसम छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में 13 मात्राएं और द्वितीय और एवं चतुर्थ चरण में 11 मात्राएं होती हैं , यति चरण के अन्त में होती है । विषम चरणों के अन्त में जगण ( ISI) नहीं होना चाहिए तथा सम चरणों के अन्त में लघु होना चाहिए । सम चरणों की तुक भी होना चाहिए ।
दोहा का उदाहरण- ( doha ka udharan)
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकर सुधारि ।
बरनऊँ रघुवर विमल जस, जो दायक फल चारि।।
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागर सोई।
जा तन की झाई परै, स्याम हरित दुति होई।।
सोरठा- (Sortha)
यह अर्ध सम मात्रिक छन्द हैं। इसके विषम चरणों में 11 मात्राएं एवं सम चरणों में 13 मात्राएं होती हैं।
सोरठा का उदाहरण (Sortha ka udaharan)
कुंद इंदु सम देह, उमा रमन करुना अयन।
जाहि दीन पर नेह , करहु कृपा मर्दन मयन।।
बरवै (barve)
यह मात्रिक अर्धसम छन्द है जिसके विषम चरणों में 12 और सम चरणों में 7 मात्राएं होती हैं। सम चरणों के अन्त में जगण एवं तगण होने से मिठास बढ जाती है।
बरवै का उदाहरण (barve ka udaharan)
वाम अंग सिव शोभित , सिवा उदार।
सरद सुबारिद में जनु, तड़ित बिहार।।
Important question for Competitive Exams
- रत्नाकर कृत गंगावतरण किस छंद में -रोला
- अवधी का निजी छंद है बरवै
- छंद के कितने प्रकार होते हैं – तीन प्रकार
- श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार – दोहा
- रोला में मात्रा है – रोला
- रोला + उल्लाला- छप्पय
- प्रथम व तृतीय चरण में 13-13 मात्राएं दूसरे व चौथे चरण में 11-11 मात्राएं होती है – दोहा
- चार चरणों में समान मात्राओं वाले छंद को – सममात्रीक छंद
- सममात्रिक छंद – चौपाई
- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून – दोहा
- किसको पुकारे यहाँ रोकर अरण्य बीच, चोहे जो करो शरण्य तिहारे हैं- धनाक्षरी
- दोहे का उल्टा- सोरठा
- सुनि सिय सत्य असीस हमारी। पूजहिं मन कामना तुम्हारी- चौपाई
- निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति कौ मूल – दोहा
- जिस छंद में पहले व तीसरे चरणों में 13-13 मात्राएं , दूसरे व चौथे में 11-11 मात्राएं होती हैं- दोहा
- सर्वप्रथम ‘ छंद ‘ की चर्चा किस वेद में मिलती है- ऋग्वेद
( A) सोरठा (B) चौपाई (C ) दोहा (D) बरवै
उत्तर- सोरठा
(A)दोहा (B ) सोरठा C) चौपाई (D ) ये सभी
उत्तर – सोरठा
( A) दोहा (B ) सोरठा (C ) बरवै (D ) छप्पय
उत्तर- दोहा
उत्तर- सोरठा
उत्तर – चौपाई
दोहा
दोहा
दोहा
उत्रर – घनाक्षरी
उत्तर- दोहा
उत्तर- 16
3
उत्तर- सोरठा
कुण्डलिया
बरवै
14-14 मात्राओं की यति से 28 मात्राओं वाला मात्रिक छंद है
a. मात्रिक b. वर्णिक c. मिश्र d. इनमें से कोई नहीं
उत्तर- वर्णिक
मात्रिक
उत्तर – मुक्त छंद
a. वार्णिक छंद का b. मात्रिक छंद का c . मुक्त छंद d. इनमें से कोई नहीं
मुक्त छंद का
उत्तर – रोला
उत्तर – छप्पय
दोहा
उत्तर- 16
उत्तर- कुण्डलिया
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा छंद है ?
उत्तर- बरवै
उत्तर – ऋग्वेद
a. चरणों b. यति में c. दोनों में ही d . इनमें से कोई नहीं
उत्तर – दोनों में ही
उत्तर – यति
a. दृष्टान्त b. सोरठा c. चौपाई d. दोहा
उत्तर- दृष्टान्त
उत्तर- दोहा और रोला
पिंगल
उत्तर- कडवक
सोरठा
रोला
उत्तर- बरवै
उत्तर – बरवै
उत्तर- 16
सुन्दर है सत्य नहीं है।
यह दृश्य जगत भासित है,
बिन कर्म शिवत्व नहीं है।। उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में निम्नलिखित में से कौन सा छन्द है ?
उत्तर- चौदह- चौदह मात्राओं की यति से 28 माताओं वाला मात्रिक छन्द
a. दोहा b. सोरठा c. चौपाई d. ये सभी
उत्तर – ये सभी
सवैया
a. छप्पय b. कुण्डलियाँ c. हरिगीतिका d. सोरठा
उत्तर – कुण्डलियाँ
उत्तर- 27 मात्राएं , 16,11 पर यति, अन्त में गुरु-लघु
उत्तर – एक छन्द
उत्तर – वार्णिक
प्रथम चार चरण रोला के और अन्तिम दो चरण उल्लाला के
उत्तर- दोहा – चौपाई शैली
वर्ण तथा मात्रा के संयोग से होने वाली रचना को छंद कहते हैं ,
जैसे दोहा, सोरठा तथा चौपाई ।
वर्ण तथा मात्रा के संयोग से होने वाली वाक्य रचना को छंद कहते हैं।
छंद मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
1. वार्णिक छंद
2. मात्रिक छंद
3. तथा मुक्त छंद
छंद मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
1. वार्णिक छंद
2. मात्रिक छंद
3. तथा मुक्त छंद
दोहा सोरठा, चौपाई, मात्राएं, सम मात्रिक छन्द , विषम मात्रिक छन्द, बरवै, गीतिका, रामायण, महत्वपूर्ण पूधे गए प्रश्न, मात्राओं की संख्या किसे कहते हैं, chhand in hindi , ullala hindi
वर्णमाला तथा विराम चिन्ह | संज्ञा | सर्वनाम | सन्धि | समास | अनेकार्थी शब्द | विलोम शब्द | रस | छन्द | अलंकार | हिंदी व्याकरण |
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