कहानी है ऐसे व्यक्ति की जो चिंता के बोझ के नीचे दबा जा रहा है उसके जीवन में बहुत सारे दुख थे , वह यह बात जानकर हैरान था कि एक चिंता समाप्त करने के लिए
उसे कई और चिंता करनी पड़ती है इस तरह से चिंताओं की एक कभी न खत्म होने वाली श्रृंखला बन जाती है जो कभी खतम नहीं होती बल्कि दिन-प्रतिदिन एक नया रूप लेती जा
रही है , जब वह यह सोचता कि अब हर समस्या का समाधान हो गया और अब कोई चिंता नहीं बची तभी नयी समस्या का आगमन उसके जीवन में हो जाता जो कि उसके पहले
से भी जटिल लगती, इस बात को समझने के लिए वह एक गुरु के पास जाने का निश्चय करता है और उनसे अपनी समस्या के बारे में बताता है , ” कहानी को पूरा करो
गुरु शांत भाव से सुनते रहे और जब वह अपनी बात कह चुका तो बोले, “बेटा, चिंता जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसके बोझ तले दब जाएं।”
“मैं समझता हूँ कि तुम दुखी हो और तुम्हारी चिंताएँ बढ़ रही हैं। परंतु क्या तुमने कभी सोचा है कि चिंता करने से क्या होता है? क्या यह तुम्हारी समस्याओं का समाधान करती है?”
“नहीं,” व्यक्ति ने उत्तर दिया। “चिंता करने से समस्याएं और भी बढ़ जाती हैं।”
“बिल्कुल,” गुरु ने कहा। “चिंता एक ऐसी जंजीर है जो हमें बांधकर रखती है। यह हमें आगे बढ़ने से रोकती है।”
“तुम्हें अपनी चिंताओं से मुक्त होना है, तो तुम्हें सबसे पहले यह समझना होगा कि वे कहां से आती हैं।”
“मेरी चिंताएं मेरे जीवन में होने वाली समस्याओं से आती हैं,” व्यक्ति ने कहा।
“यह सच है,” गुरु ने कहा। “लेकिन क्या तुमने कभी सोचा है कि तुम उन समस्याओं को कैसे नियंत्रित कर सकते हो?”
“नहीं,” व्यक्ति ने कहा।
“तुम उन समस्याओं को नियंत्रित नहीं कर सकते, जो तुम्हारे जीवन में आती हैं,” गुरु ने कहा। “लेकिन तुम अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित कर सकते हो। तुम उन समस्याओं को कैसे देखते हो, यह तुम्हारे ऊपर है।”
“तुम्हें अपनी चिंताओं को कम करने के लिए अपनी सोच बदलनी होगी। तुम्हें उन समस्याओं को चुनौतियों के रूप में देखना होगा, न कि बाधाओं के रूप में।”
“तुम्हें यह भी समझना होगा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी सुख होता है, तो कभी दुःख। यह जीवन का नियम है।”
“तुम्हें दुःख से डरना नहीं चाहिए। तुम्हें उसे स्वीकार करना सीखना होगा।”
“जब तुम अपनी सोच बदलोगे, तो तुम्हारी चिंताएं कम होने लगेंगी। तुम जीवन में खुशी और शांति का अनुभव करोगे।”
व्यक्ति ने गुरु की बातों को ध्यान से सुना और उन्हें समझने की कोशिश की। उसे लगा कि गुरु की बातों में सच्चाई है।
उसने गुरु को धन्यवाद दिया और घर लौट गया। उसने गुरु की बातों पर अमल करने का फैसला किया।
धीरे-धीरे उसकी सोच बदलने लगी। उसने अपनी समस्याओं को चुनौतियों के रूप में देखना शुरू कर दिया। उसने दुःख को स्वीकार करना सीख लिया।
जैसे-जैसे उसकी सोच बदली, उसकी चिंताएं कम होने लगीं। वह जीवन में खुशी और शांति का अनुभव करने लगा।