आजकल मोट अनाज की खाने में शामिल करने को लेकर बहुत विचार –विमर्श हो रहा है । प्रधानंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज के साल के रूप में मानाने का निर्णय लिया है । आयुर्नेद ने पहले ही इस विषय पर गंभीरता से विचार किया और लगभग सभी शास्त्रों में ‘ शूक धान्य’ अध्याय के अन्तर्गत इसका वर्णन किया है।
स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने आहार के बारे में ज्ञान अवश्य होना चाहिए कि हमारी प्रकृति के अनुसार खाने की कौन-सी वस्तु हमारे लिए लाभकारी है और किस वस्तु के खाने से हम बीमार पड़ सकते हैं। आधुनिक आहार विज्ञान की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है कि किस आहार में कितने और कौन से विटामिन हैं, कितना प्रोटीन है, कितनी वसा है , कितना कैल्शियम और अन्य खनिज तत्व हैं और उसमें कितनी कैलोरी है । आयुर्वेद के अनुसार विचार करें तो महत्वपूर्ण यह है कि किस खाध पदार्थ के गुण क्या हैं अर्थात कौन सा आहार शरीर में शीतलता उत्पन्न करता है और कौन–सा ऊष्णता, किस आहार के के खान से शरीर में रूक्षता पैदा होती है और किससे शरीर स्निग्ध होता है या फिर कौन-सा आहार मोटापे को कम और कौन सा आहार हमें पुष्ट करके मोटा कर सकता है ।
सभी प्रकार के आहार किसी न किसी रूप में शरीर की पुनर्निर्माण की प्रक्रिया , स्थिरता और सामर्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं । अतः उन्हे हम सामान्यतः बलवर्धक कहते हैं . जब उन्हे बल वर्धक की संज्ञा दी जाती हैं तो परोक्ष रूप से निश्चित है कि उनमें यथासंभव वसा, प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेड , विटामिंस , और मिनरल्स तो होंगें ही । हमारा शरीर एक संतुलित औ रसंपूर्ण आहार की अपेक्षा रखाता है जिसमें मोटे अनाज अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं . इसलिए आयुर्वेद में उनका समावेश किया गया है ।
हमारे दैनिक आहार में सब्जियाँ के साथ या तो गेहूँ से बनी हुई चपाती होती है या फिर चावल होते हैं, इसके अलावा मक्का, रागी, ज्वार और बाजरा जैसे अनाज हमारे खाने लगभग नगण्य हो गए हैं, जिनका यथोचित ज्ञान और आहार में इनका पुनः समावेश बहुत आवश्यक है। जहां गेहूँ शरीर में शीतलता , मृदुता, स्निग्धता और स्थिरता उत्पन्न करता है , वहीं ज्वार जौ का सेवन शरीर में रूक्षता और लघुता के कारण शरीर का भार बढ़ने नहीं पाता, और कफ के कारण होने वाले विकार खाँसी और जुकाम दूर होते हैं, । उतः कफ प्रकृति के लोगों के लिए ये लाभकारी है। इसी प्रकार से देखा जाए तो जहां चावल मधुर और शीतल होने के कारण वातवर्धक होते हैं और शरद ऋतु में इनका सेवन वात प्रकृति के लोगों के लिए हानिकारक होता है , वहीं बाजरा ऊष्ण और रूक्ष होता है , जो शऱद ऋतु में विशेष रूप से लाभदायक होता है ।
गेहूँ और चावल से बहुत प्रकार के भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। उसी प्रकार मक्का, ज्वार और बाजरा से भी भोजन से संबंधित विभिन्न प्रकार की सामग्री तैयार की जा सकती है . इनका मधुमेह, मोटाप, संधि रोग, गेहूँ के कारण होने वाले अतिसार में एक उत्तम विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो बहुत लाभकारी है। रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण कई देशों में खाघ सामग्री , विशेषकर गेहू की कमी हो गयी है, ऐसे में मोटे अनाज की आपूर्ति से इस संकट से भी निपटा जा सकता है और भविष्य में यदि हम इनका अपने आहार मं समावेश करें तो गेहूँ, चावल के अति प्रयोग से उपजी निर्भरता समाप्त हो सकती है। इस तरह से हम आने वाली पीढियों को खाध पदार्थों के बेहतर विकल्प देकर उनका भविष्य और शारीरिक स्वास्थ्य सुरक्षित कर सकते हैं।
एक शोध में पाया गया है कि 10 प्रतिशत से भी कम लोग मोटे अनाज का सेवन करते हैं,
सर्दियों में मोटे अनाज के सेवन से स्वास्थ्य मिलता है,
मोटे अनाज की तासीर गर्म होती है , सर्दियों में इसके सेवन से शरीर को गर्माहट मिलती है , जिससे हम ठंड स बचते हैं, इस मौसम में इन्हें लोक प्रचलित स्थानीय व्यंजन विधि के अनुसार रोटी , पाउ , खीर ल लड्डु, हलवा ,गुड-पट्टी, आदि बनाकर खाया जाता है।
पोषण का पावरहाउस
मोटे अनाज को पोषण का पावरहाउस कहा जाता है, अप्रैल, 2018 में कृषि मंत्रालय ने इन्हे पोषक अनाज की संज्ञा दी थी। पोषक अनाजों की श्रेणी में ज्वार , बाजर, मक्कास रागी , चीना , कोदो , सावां॰ कुटकी, चौलाईऔर कुट्टू आदि शामिल हैं।
फाइबर से भरपूर
मोटे अनाज में अत्यधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है, अतः इन्हें खाने से पाचनतंत्र को भी फायदा होता है , इसके सेवन से पेट में कब्ज, एसिडिटी, जैसी समस्याओं से भी निजात मिलता है।
कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण
मोटो अनाज में कोर्बोहाइड्रेड की मात्रा काफी कम होती है, इसके सेवन से कोलेस्ट्राल पर भी लगाम लगी रहती है, ह्रद्यरोगियों के लिए मोटे अनाज का सेवन अत्य़धिक लाभाकारी होता है।
शुगर के रोगियों के लिए भी लाभप्रद
डायबिटीज में मोटे अनाज का सेवन लाभकारी होता है , डायबिटीज वाले रोगियों के लिए गेहूँ का सेवन हानिकारक माना जाता है , ऐसे में जौ, बाजरा, रागी आदि ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक होते हैं।
हड्डियाँ भी रखे मजबूत
मोटा अनाज हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद होता है, इसमें कैल्शियम बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है ,
Source: Dainik Jagran