मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भोरोत्तोलन में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम गौरवान्वित किया , इसके पीछे उनका अपार संघर्ष छिपा है , उनका पूरा नाम मीराबाई साईखोम चानू है , वो बचपन से ही अपार बलशाली थीं
बचपन में कभी कभार जंगल में लकड़ी बीनने जाया करती थीं, एक बार वो भाई के साथ जंगल में लकड़ी बीनने गईं , जब उनका भाई भी लकड़ी के गट्ठर को न उठा सका तो उन्होने बहुत ही कम प्रयास में आसानी से उसे लिया और घऱ ले आयी, उनकी इस ताकत को देखकर सभी अचंभित हुआ और उन्हे भी अपनी आंतरिक शक्ति का अहसास हुआ, फिर क्या था किसी ने सुझाव दिया कि आपको भोरोत्तोलन में किस्मत आजमानी चाहिए , लेकिन प्रोफेशनल वेटलिफ्टिंग में जिस गाइडेंस की जरूरत होती है उसके लिए उनको स्पोर्ट्स एकेडमी में एडमीशन लेना था जो कि सरल न था , परन्तु जिसका इरादा बुलन्द होता है और दृढ़ निश्चय होता है उसके लिए सभी बाधाएँ स्वत समाप्त हो जाती हैं,
मीराबाई चानू नें टोक्यो ओलंपिक में 49 kg केटेगरी में वेटलिफ्टिंग करके इतिहास रच दिया ।
मीराबाई चानू मणिपुर की रहने वाली हैं ।
मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में 202 किलोग्राम वजन उठाया था। कर्णम मलेश्वरी के बाद वह दूसरी भारतीय भोरोत्तोलक हैं जिन्होने ओलंपिक में पदक जीता है।
सैखोम मीराबाई चानू एक भारतीय भारोत्तोलक हैं। उन्होंने 2020 टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं के 49 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता। मीराबाई चानू ने राष्ट्रमंडल खेलों में विश्व चैंपियनशिप और कई पदक जीते हैं। खेल में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
Born: 8 August 1994 (age 27 years), Imphal East district
Awards: Padma Shri, Major Dhyan Chand Khel Ratna Award for Weightlifting