रस का शाब्दिक अर्थ है आनंद। काव्य को पढने या सुनने से जिस आनंदी की अनुभूति होती है उसे रस कहा जाता है । भरत मुनि के अनुसार, रस का हिन्दी व्याकरण में अत्यन्त महत्व , काव्य में रस का मुख्य रूप से प्रयोग होता है ,
विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है ।
भरत मुनि ने रस की उत्पत्ति के लिए नाना भावों को उत्पन्न होना उत्तरदायी बताया है। जिसका अर्थ है कि विभाव , अनुभाव तथा संचारी भाव स्थायी भाव के निकट आकर अनुकूलता गृहण करते हैं।
विभाव (vibhav)
जो व्यक्ति पदार्थ या वाहृा विकार किसी अन्य व्यक्ति में भावोद्रेक उत्पन्न करता है , उन कारणों को विभाव कहा जाता है। विभाव दो प्रकार के होते हैं – आलम्बन तथा उद्दीपन, सूर की गोपियों का आकर्षण कृष्ण के प्रति है । यहाँ कृष्ण आलम्बन विभाव है। कृष्ण मुरली बजाकर आकर्षित करते हैं। मुरली उद्दीपन विभाव के रूप में हैं।
अनुभाव
आलम्बन और उद्दीपन विभावों के कारण उत्पन्न होने वाले भावों को प्रकाशित करने वाली प्रक्रिया ‘अनुभाव‘ कहलाती है। गोपियों के आकर्षण के साथ संकेत करना , लज्जित होना , कटाक्ष करना आदि ‘अनुभाव’ की श्रेणी में आता है ।
व्यभिचारी(संचारी भाव)
व्यभिचारी अथवा संचारी भाव स्थायी भावों के लिए सहायक होते हैं। आचार्य भरत ने संचारी भाव में
- देशकाल तथा अवस्था
- उत्तम , मध्यम तथा अधम प्रकृति के लोग
- वातावरण के प्रभाव तथा
- स्त्री पुरुष के स्वभाव में भेद से जो भाव उत्पन्न होते हैं वे संचारी भाव हैं। स्थायी भावों के साथ संचारी भाव भी सामने आते हैं ; जैसे- गर्व, निर्वेद , शंका, आलस्य, ग्लानि, मद, दीनता आदि संचारी भाव हैं ; संचारी भावों की संख्या 33 बतायी गयी है।
स्थायी भाव (sthayi bhav)
‘विकारो मानसो भाव ‘ अर्थात् मन का विकार ही भाव है। आचार्य भरत ने ‘नाट्यशास्त्र‘ में भावों की संख्या 49 बतायी है । जिसमें 33 संचारी भाव, 8 सात्विक तथा 8 स्थायीभाव हैं। भरत के अनुसार आठ स्थायी भाव हैं- रति , हृास, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा तथा विस्मय।
भरत के बाद आचार्यों ने भक्ति और वात्सल्य को भी स्थायी भाव मान लिया । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार ‘ भाव‘ का जहाँ ‘स्थायित्व’ हो उसे ‘स्थायी भाव ‘ माना जाता है ।
प्रत्येक स्थायी भाव से एक रस की निष्पत्ति होती है । bhav के आधार पर ही रसों की संख्या 9 बतायी गयी है । अभिनव गुप्त तथा मम्मट ने भी नौ रस माने हैं। ये रस हैं – श्रृंगार , भक्ति, करुण , रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स , अद्भुत तथा शान्त। आगे आचार्यों ने वात्सल्य को एक अन्य रस के रुप में मान्यता दी। प्रत्येक रस की निष्पत्ति में अनुभाव, विभाव तथा संचारी भावों का संयोग भिन्न प्रकार से होता है।
क. वैराग्य ख. क्षमा ग. दया घ. निर्वेद
निर्वेद
(क.) भक्ति रस ( ख.) श्रृंगार रस (ग.) दोनों का (घ.) दोनों का नहीं
श्रृंगार रस
क. ग्यारह ख. दस ग. नौ घ. आठ
नौ
क. ऋंगार ख. वात्सल्य रस ग. शांत रस घ. करूण रस
वात्सल्य रस
क. शांत रस ख. भयानक रस ग. रौद्र रस घ. वीर रस
वीर रस
कपति तनु व्याकुल नयन , लावक हिल्यों न रंच ।।
क. रौद्र रस ख. वीभत्स रस ग. भयानक रस घ. वीर रस
उत्तर – वीभत्स रस
भुज उठाय पन कीन्ह ।
सकल मुनिन्ह के आश्रमन
जाइ जाइ सुख दीन्ह ‘ उपर्युक्त उद्र्रण में किस रस की निष्पित्ति हुई है ?
क. करुण रस ख. वीर रस ग. रौद्र रस घ. भयानक रस
उत्तर – वीर रस
आपा मेटि जीवति मरै, तो पावै करतार ।।
उपयुक्त दोहे में किस रस का परिपाक हुआ है ?
उत्तर – शांत रस
क. क्रोध रस ख. विस्मय रस ग. शोक रस घ. भय रस
उत्तर – क्रोध रस
क. शांत रस ख. करुण रस ग. हास्य रस घ.वीर रस
उत्तर – करूण रस
श्रृंगार रस ख. वीर रस ग. हास्य रस घ. उपरोक्त में से कोई नहीं
श्रृंगार रस
क. शांत रस ख. करुण रस ग. भक्ति रस घ. अद्भुत रस
उत्तर – शांत रस
कहत लखन सन राम ह्रदय गुनि।।
मानहु मदन दुन्दुभी दीन्ही
मनसा बिस्व विजय कहँ कीन्हीं।
तात जनकतनया यह सोई
धनुष जग्य जेहि कारन होई
इन पंक्तियाों में ‘ जनकतनया ‘ है-
क. अनुभाव ख. आश्रय ग. विषय घ. उद्दीपन
उत्तर – ग
क. 9 ख. 10 ग. 11 घ. 12
उत्तर – 9
जुगुप्सा रस ख. क्रोध रस ग. शोक रस घ . निर्वेद रस
उत्तर- निर्वेदे रस
क. रति ख. निर्वेद ग. अद्भुत रस घ. विस्मय
उत्तर – विस्मय
इन दाँतों पर मोती वारूँ । इन पंक्तियों में कौन -सा रस है
क. वीर रस ख. शांत रस ग. वात्सल्य रस घ. हास रस
उत्तर – वात्सल्य रस
रौद्र रस ख. श्रृंगार रस ग. करुण रस घ. वीर रस
उत्तर रस – श्रृंगार रस
क. करुण रस ख. भक्ति रस ग. श्रृंगार रस घ. वीर रस
उत्तर- श्रृंगार रस
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।। इन पंक्तियों में कौन सा रस है
उत्तर- श्रृंगार रस
घुटरूनि चलत रेनु तन मण्डित
मुख दधि लेप किए ।
इन पंक्तियों में कौन- सा रस है
क. श्रृंगार रस ख. हास्य रस ग. करुण रस घ. वात्सल्य रस
उत्तर – श्रृंगार रस
क. विभाव ख. आलम्बन ग. अनुभाव घ. उद्दीपन
उत्तर – अनुभाव
क. माधुर्य ख. ओज ग. प्रसाद घ. इनमें से कोई नहीं
उत्तर – ओज
क. शांत रस ख. श्रृंगार रस ग. भयानक रस घ. रौद्र रस
उत्तर – श्रृंगार रस
दुःख जल निधि डूबी का सहारा कहाँ है ?
इन पंक्तियों में कौन सा स्थायी भाव है?
क. विस्मय ख. रति ग. शोक घ. क्रोध
उत्तर – शोक
हंससुता की सुन्दर करारी और द्रुमन की छाहीं । इन पंक्तियों में कौन सा रस है
क. श्रृंगार रस ख. हास्य रस ग शांत रस घ. करुण रस
उत्तर – श्रृंगार रस
क. भक्ति रस ख. वात्सल्य रस ग . शांत रस घ. करुण रस
उत्तर रस – शांत रस
मानो हवा के जोर से , सोता हुआ सागर जगा।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा रस है
क. वीर रस ख. रौद्र रस ग. अद्भुत रस घ. करुण रस
उत्तर – रौद्र रस
क. विश्वनाथ ख. राजशेखर ग. श्री हर्ष घ. भास
उत्तर – विश्वनाथ
चुप रहकर अन्तर्मन में , कुछ मौन व्यथा कहती थी।।
दुर्गम पथ पर चलने का वो
संबल छूट गया था ।
अविचल , अविकल वह प्राणी,
भीतर से टूट गया था ।
उपयुक्त काव्य पंक्तियों में कौन सा रस अभिव्यक्त हो रहा है
क. शांत रस ख. वियोग श्रृंगार रस ग. करुण रस घ. शांत रस
उत्तर – करूण रस
क. 9 ख. 33 ग. 16 घ. 99
उत्तर – 33
क. स्थायी भाव ख. शांत ग. अनुभाव घ. व्यभिचारी भाव
उत्तर – स्थायी भाव
क. 8 ख. 9 ग. 11 घ. 10
उत्तर- 8
क. भक्ति रस ख. शान्त रस ग. वात्सल्य रस घ. श्रृंगार रस
उत्तर — शान्त रस
क. विभाव ख. अनुभाव ग. स्थायी भाव घ. संचारी भाव
उत्तर – स्थायी भाव
क. भय ख. निर्वेद ग. जुगुप्सा घ. घृणा
उत्तर – जुगुप्सा
क. रौद्र रस ख. शान्त रस ग. भयानक रस घ. अद्भुत रस
उत्तर- अद्भुत रस
क. वीभत्स रस ख. अद्भुत रस ग. भयानक रस घ. हास्य रस
उत्तर – वीभत्स रस
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