समास का शाब्दिक अर्थ है ‘संक्षेपीकरण‘ । (Samaas in hindi grammar)
समास की परिभाषा ( samas ki paribhasha)
दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। समास में दो पद होते हैं
- पूर्वपद
- उत्तरपद
सामासिक शब्द / समस्त पद
समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्त पद भी कहते हैं . समास होने के बाद विभक्तियों के चिन्ह (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे- राजपुत्र
समास विग्रह (samas vigrah)
समासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करना समास विग्रह कहलाता है। जैसे – राजा का पुत्र । समास की परिभाषा और उसके भेद प्रकार उदाहरण सहित तत्पुरुष, द्विगु, अवयवीभाव,बहुव्रीहि समास, समास विग्रह पदों में कौन सा समास है, भेद का चार्ट
पदों की प्रधानता के आधार पर वर्गीकरण
प्रधान खंड
जिस खंड पर अर्थ का मुख्य बल पडता है उसे प्रधान खंड कहते हैं।
गौण खंड
जिस खंड पर अर्थ का बल नहीं पडता है उसे गौण खंड कहते हैं।
प्रमुख समास | पद की प्रधानता |
1 अव्ययीभाव समास में | पूर्वपद प्रधान होता है । |
2. तत्पुरूष समास में | उत्तर पद प्रधान होता है । |
(क) कर्मधारय समास में | उत्तर पद प्रधान होता है । |
(ख) द्विगु समास | दोनों पद प्रधान होता है । |
3. द्वन्द समास | दोनों पद अप्रधान होता है । |
4. बहुव्रीहि समास में | दोनों पद अप्रधान होता है। |
- अव्ययी भाव समास – जिस समास में पूर्वपद अव्यय हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
विशेष टिप्पणी
पहला पद नामपद समास में पहला पद अव्यय या उपसर्ग न होकर संज्ञा या विशेषण शब्द होता है । हिंदी में ऐसे समासों का प्रयोग होता है ।
उदाहरण-
समस्त पद | अव्यय | विग्रह |
प्रतिदिन | प्रति +दिन | दिन दिन |
यथाशक्ति | यथा + शक्ति | शक्ति के अनुसार |
आमरण | आ+ मरण | मरण तक |
अनुरूप | अनु + रूप | रूप के योग्य |
यथाक्रम | यथा + क्रम | क्रम के अनुसार |
भरपेट | भर + पेट | पेटभर |
अव्ययीभाव समास (avyayibhav samas)
जिस समासिक पद का पूर्वपद प्रधान होता है तथा समासिक पद अव्यय हो , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इस समास में समूचा पद क्रिया-विशेषण अव्यय हो जाता है ; जैसे- प्रतिदिन , यथासम्भव, आमरण इत्यादि ।
उदाहरण ( avyayibhav samas ke udhaharan )
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
अनुकूल | मन के अनुसार | यथास्थान | स्थान के अनुसार |
अनुरूप | रूप के अनुसार | यथासमय | समय के अनुसार |
अभ्यागत | अभि आगत | य़थाशीघ्र | शीघ्रता से |
आजन्म | जन्म से लेकर | यथाक्रम | क्रम के अनुसार |
आमरण | म्रत्यु तक | अकारण | बिना कारण के |
आपादमस्तक | सिर से पैर तक | अभूतपूर्व | जो पहले नहीं हुआ |
प्रतिपल | हर पल | निर्विकार | बिना विकार के |
प्रतिदिन | हर दिन | निर्विवाद | बिना विवाद के |
भरपेट | पेट भर | निर्भय | बिना भय के |
तत्पुरुष समास (tatpurush samas)
जिस समास में पूर्वपद विशेषण होने के कारण गौण तथा उत्तर पद विशेष्य होने के कारण प्रधान होता है वहाँ तत्पुरूष समास (tatpurush samas) होता है ।
विशेष
समस्त पद बनते समय विभक्ति चिन्हों का लोप हो जाता है , तथा इसके विपरीत समास विग्रह के अन्तर्गत विभक्ति चिन्हों ‘से’ पर को आदि का प्रयोग होता है ।
संस्कृत से हिंदी में कुछ ऐसे समास भी आ गए हैं जिनसे कुछ विशिष्ट नियमों के कारण संस्कृत की विभक्तियों का लोप नहीं होता । जैसे-
म्रत्यु को जीतने वाला – म्रत्युंजय (शिव)
विश्व को भरने वाला- विश्वंभर (ईश्वर)
अनेक बार दोनों के मध्य आने वाला ‘पूरा शब्द समूह‘
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
कठफोडवा | काठ को फोडने वाला | यशप्राप्त | यश को प्राप्त |
कुम्भकार | कुम्भ को बनाने वाला | गिरिधऱ | गिरि को धारण करने वाला |
ग्रहागत | ग्रह को आगत | मनोहर | मन को हरने वाला |
शत्रुघ्न | शत्रु को मारने वाला | सर्वभक्षी | सब को भक्षण करने वाला |
माखनचोर | माखन को चुराने वाला | मुँहतोड | मुँह को तोडने वाला |
करण तत्पुरष के उदाहरण
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
अकालपीडित | अकाल से पीडित | करुणापूर्ण | करूणा से पूर्ण |
अन्धकारयुक्त | अन्धकार से युक्त | जलाभिषेक | जल से अभिषेक |
कर्मवीर | कर्म से वीर | तुलसीक्रत | तुलसी द्वारा रचित |
गुणयुक्त | गुण से युक्त | पर्णकुटीर | पर्ण से बनी कुटीर |
रक्तरंजित | रक्त से रंजित | रेखांकित | रेखा से अकित |
रोगग्रस्त | रोग से ग्रस्त | क्षुंधातुर | क्षुंधा से आतुर |
सम्प्रदान तत्तपुरुष के उदाहरण
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
देश भक्ति | देश के लिए भक्ति | युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि |
देवालय | देव के लिए आलय | विधानसभा | विधान के लिए सभा |
धर्मशाला | धर्म के लिए शाला | स्नानघऱ | स्नान के लिए घर |
पुस्तकालय | पुस्तक के लिए आलय | विधालय | विधा के लिए आलय |
भिक्षाटन | भिक्षा के लिए भ्रमण | राहखर्च | राह के लिए खर्च |
सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह | रसोईघर | रसोई के लिए घर |
अपादान तत्पुरुष के उदाहरण
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
अन्नहीन | अन्न से हीन | कर्तव्यच्युत | कर्तव्य से च्युत |
कर्महीन | कर्म से हीन | भयभीत | भय से भरा हुआ |
जातिभ्रष्ट | जाति से भ्रष्ट | धनरहित | धन से रहित |
जन्मान्ध | जन्म से अन्धा | स्वादरहित | स्वाद से रहित |
नेत्रहीन | नेत्र से हीन | फलहीन | फल से हीन |
सम्बन्ध तत्पुरुष के उदाहरण
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
विधाभ्यास | विधा का अभ्यास | छात्रावास | छात्र का आवास |
सेनापति | सेना का पति | गंगाजल | गंगा का जल |
आनन्दाश्रम | आनन्द का आश्रम | जलयान | जल का यान |
कार्यकर्ता | कार्य का कर्ता | गोपाल | गौ का पालक |
चरित्रहनन | चरित्र का हनन | कन्यादान | कन्या का दान |
अधिकरण तत्पुरुष के उदाहरण
ग्रह प्रवेश | ग्रह में प्रवेश | कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ठ |
आत्मनिर्भर | आत्मपर निर्भर | कृषिप्रधान | कृषि में प्रधान |
युधिष्ठिर | युद्ध में स्थिर | रणधीर | रण में धीर |
पुरुषोत्तम | पुरुषों में उत्तम | शरणागत | शरण में आगत |
क्षणभंगुर | क्षण में भंगुर | कलाप्रवीण | कला में प्रवीण |
कर्मधारय समास (karmadharaya samas)
जिस तत्पुरुष समास के समस्त पद समान रूप से प्रधान हों तथा विशेष्य -विशेषण भाव को प्राप्त होते हैं। इनके लिए , वचन भी समान हों , वहाँ कर्मधारय समास (karmadharaya samas) भी होता है ।
कर्मधारय समास चार प्रकार के होते हैं- ( karmadharaya samas ke prakar)
- विशेष पूर्वपद 2. विशेष्य पूर्वपद 3. विशेषणोभय पद तथा 4. विशेष्योभय पद
उदाहरण (karmadharaya samas ke udhaharan)
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
नील कमल | नीला कमल | महाकाव्य | महान् काव्य |
महात्मा | महान् आत्मा | श्यामसुन्दर | श्याम जो सुन्दर हैं |
महावीर | महान् वीर | चन्द्रवदन | चन्द्र के समान मुख |
नरसिंह | नर में सिंह के समान | विधारत्न | विधा ही है रत्न |
चरणकमल | चरण कमल के समान | दुर्जन | दुष्ट है जो जन |
व्दिगु समास ( dvigu samas)
जिस कर्म धारय समास का पहला पद संख्याबोधक हो , वह व्दिगु समास कहलाता है । व्दिगु समास दो प्रकार के हैं।
- समाहार व्दिगु समास तथा 2. उपप्रधान व्दिगु
उदाहरण (dvigu samas ke udhaharan)
पद | विग्रह | पद | विग्रह |
त्रिभुवन | तीनों भुवन का समाहार | चतुर्वेंद | चार वेदों का समाहार |
नवग्रह | नौ ग्रहों का समाहार | पंचमुख | पाँच मुखों का समाहार |
चौराहा | चार राहों का समाहार | तिमाही | तीन माहों का समाहार |
त्रिनेज | तीन नेत्रों का समाहार | त्रिकाल | तीन कालों का समाहार |
अष्टधातु | आठ धातुओं का समाहार | पंचमेवा | पाँच फालों का समाहार |
बहुव्रीहि समास (bahuvrihi samas)
समास में आये पदों को छोडकर जब किसी अन्य पदार्थ की प्रधानता हो, तब उसे बहुव्रीहि समास कहते हैें। इस समास के पदों में कोई भी पद प्रधान नहीं होता । बल्कि पूरा पद ही किसी अन्य पद का विशेषण होता है ।
उदाहरण ( bahuvrihi samas ke udhaharan)
पद | विग्रह |
चतुरानन | चार हैं आनन जिनके अर्थात ब्रम्हा |
लम्बोदर | लम्बा है उदर जिसका अर्थात गणेश |
वीणापाणि | वीणा है कर में जिसके अर्थात सरस्तवती |
नीलाम्बर | नीला है अम्बर जिसका अर्थात श्रीक्रष्ण |
द्वन्द समास (dwand samad)
द्रन्द समास में सभी पद प्रधान होता हैं। द्वन्द समास के तीन भेद होता हैं ।
- इरेत्तर 2. समाहार तथा 3. वैकल्पिक द्वन्द
उदाहरण ( dvand samas ke udhahran)
पद | विग्रह |
अन्न-जल | अन्न और जल |
आग-पानी | आग औऱ पानी |
मार-पीट | मार या पीट |
धन-दौलत | धन, दौलत आदि |
पाप-पुण्य | पाय या पुण्य इत्यादि |
परीक्षा में पूछे जाने वाले माडल प्रश्न
यथाशक्ति में कौन सा समास है ?
उत्तर – अव्ययीभाव
त्रिभुज शब्द में कौन समास है ?
उत्तर- द्विगु
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
षष्ठी तत्पुरुष
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
बहुव्रीहि
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
सप्तमी तत्पुरुष
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्वन्द
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्विगु समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
तत्पुरुष समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
कर्मधारय
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
तत्पुरुष
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- कर्मधारय
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- बहुव्रीहि समास
क. श्वेतपत्र ख. शोकाकुल ग. रोगपीड़ित घ. चतुर्भुज
श्वेतपत्र
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
कर्मधारय समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्वन्द समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- द्वन्द समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्विगु समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
कर्मधारय
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- तत्पुरुष
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
बहुब्रीहि
)
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- द्विगु
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्वन्द समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- द्वन्द
(क.) नीलकमल (ख.) शूलपाणि (ग.) पंचवटी (घ.) यथासम्भव
उत्तर – शूलपाणि
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
बहुव्रीहि समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अव्यवीभाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
कर्मधारय समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- तत्पुरुष समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- तत्तपुरुष समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर समास – द्विगु समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- द्वन्द समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
बहुव्रीहि समास
(क.) अव्ययीभाव समास समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अव्ययीभाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्वन्द समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
तत्पुरुष समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
तत्पुरुष समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्वन्द समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्वन्द समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर – तत्पुरुष
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर – कर्मधारय
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
तत्पुरुष
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अव्यवीभाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
कर्मधारय समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्विगु समास
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कर्मधारय समास
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बहुव्रीहि समास
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तत्पुरुष समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्वन्द समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्वंद समास
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द्वन्द समास
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द्वंद समास
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बहुव्रीहि समास
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द्विगु समास
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द्विगु समास
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कर्मधारय समास
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द्वन्द समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अव्यवीभाव समास
(क.) संक्षेप (ख.) विस्तार (ग.) दीर्घ (घ.) लघु
संक्षेप
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अवयवी भाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अवयवीभाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्विगु समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
कर्मधारय समास
(क.) नीलकमल (ख.) आत्मनिर्भर (ग.) चौराहा (घ.) यथाशक्ति
आत्मनिर्भर
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
बहुव्रीहि समास
(क.) तिरंगा (ख.) य़थाशक्ति (ग.) नीलकमल (घ.) आत्मनिर्भऱ
उत्तर- तिरंगा
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
बहुव्रीहि समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अवयवीभाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
तत्पुरुष समास
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तत्पुरुष समास
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द्विगु समास
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बहुव्रीहि समास
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तत्पुरुष समास
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बहुव्रीहि समास
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कर्मधारय समास
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द्विगु समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अवयवीभाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
अवयवीभाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
चतुर्भुज समास
इस पद में पहला पद संख्यावाची है –
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्विगु समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) अव्ययीभाव समास (घ.) बहुव्रीहि समास
उत्तर- अव्ययी भाव समास
(क.) तत्पुरुष समास (ख.) कर्मधारय समास (ग.) द्विगु समास (घ.) बहुव्रीहि समास
द्विगु समास
समास का शाब्दिक अर्थ है , संक्षेपीकरण
)
प्रति + दिन ( अवययीभाव समास )
)
नीलकमल शब्द में कर्मधारय समास है
समास की परिभाषा और उसके भेद प्रकार उदाहरण सहित तत्पुरुष, द्विगु, अवयवीभाव,बहुव्रीहि समास, समास विग्रह पदों में कौन सा समास है, भेद का चार्ट