सोलर एनर्जी अब बिजली बनाने का सबसे सस्ता साधन बन चुका है , कोयले से भी सस्ता फिर भी विश्व की मात्र 3 प्रतिशत बिजली ही कोयले से बनायी जाती है , हम इसका ज्यादा इस्तेमाल क्यों नहीं करते ।
शुरुआती दौर में सोलर काफी महंगा था तथा केवल अंतरिक्ष तथा वैज्ञानिक शोधों में ही इसका इस्तेमाल होता था।
सोलर की कीमत प्रति वाट 300 रूपए से घटकर 20 रूपए तक पहुँच गयी है , ये पिछले 15 साल के आँकड़े हैं, और पीछे जाने पर और अधिक गिरावट देखी जा सकती है ।
एक्सपर्ट बताते हैं कि कई देशों के सहयोग से यह संभव हुआ है । अमेरिका में टेक्नोलोजी का विकास हुआ ताकि अंतरिक्ष कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चलाया जा सके , जनवरी ने सन् 2000 में अक्षय ऊर्जा को बढावा देने के लिए एक कानून पारित किया , यह एक महत्वपूर्ण कदम था । जर्मनी ने इसका बाजार तैयार किया जिससे आम लोग तथा कंपनियाँ सोलर पैनल बनाने लगे ।
3. चीन ने सोलर का बड़े पैमाने पर निर्माण चालू किया , जिससे सोलर पैनल की कीमत अत्य़धिक घट गयी । विश्व के 70 प्रतिशत सोलर पैनल चीन में ही बनाये जा रहे हैं । इससे सौर्य ऊर्जा पर आने वाली लागत कम हुयी और अब यह फायदे का सौदा साबित हो रहा है।
क्या है समस्या-
सोलर एनर्जी के निर्माण में बडी समस्या बिजली को स्टोर करने में है , सूर्य केवल दिन के वक्त ही बिजली का उत्पादन कर सकता है परंतु रात के समय बिजली की आवश्यकता की पूर्ति के लिए इसका भंडारण करना होगा ।
मौजूदा समय में बैटरी के माध्यम से बिजली का भंडारण किया जाता है ।
आशा है कि आने वाले समय में सस्ती तथा टिकाऊ बैटरी इत्यादि के माध्यम से इस समस्या का भी निराकरण हो जायेगा।
Reference -DW