विशेषण की परिभाषा (visheshan)
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, ऐसे शब्दों को विशेषण कहते हैं। जिसकी विशेषता बतायी जाती है, उसे ‘विशेष्य‘ कहते हैं।विशेषण वह विकारी शब्द है, जिससे हमें संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता को बताया जाता है।विशेषण वस्तु या व्यक्ति के बोध को सीमित कर देता है। visheshan in hindi example , विशेषण के भेद , परिभाषा, कितने प्रकार के होते हैं। विशेषण के उदाहरण, विशेष्य , प्रविशेषण, गुणवाचक, रचना ।uppsc, upsssc, ctet, tet ,uptet.
विशेषण के भेद ( visheshan ke bhed)
गुण संख्या या परिणाम के आधार पर विशेषण के तीन भेद हैं
- सर्वनामिक विशेषण 2. गुणवाचक विशेषण तथा 3. संख्यावचाक विशेषण.
सार्वनामिक विशेषण (sarvanamik visheshan)
पुरूषवाचक तथा निजवाचक सर्वनाम के अतिरिक्त अन्य सर्वनाम यदि किसी संज्ञा के पहले आते हैं, तब वे ‘सर्वनामिक विशेषण’ कहलाते हैं।
जैसे–
- वह मजदूर नहीं लौटा।
- यह आदमी भरोसेमन्द है।
यहाँ ‘मजदूर’ तथा ‘आदमी’ संज्ञा के पहले सर्वनाम ‘वह’ और यह उस संज्ञा की विशेषता निर्धारित करते हैं। अत: ये सार्वनामिक विशेषण है। व्युत्पत्ति के आधार पर सार्वनामिक विशेषण के दो भेद हैं- 1) मौलिक सर्वनामिक विशेषण तथा 2) यौगिक सर्वनामिक विशेषण
गुणवाचक विशेषण (gunvachak visheshan)
जिस शब्द से संज्ञा का गुण, दशा , स्वभाव का पता चलता है , उसे ‘गुणवाचक विशेषण’ कहा जाता है । सर्वाधिक विशेषण शब्द इसी कोटि में आते हैं ;
उदाहरण- नया, पुराना, प्राच्य, पाश्चात्य, काला, पीला ,नीला, भला, बुरा, उचित, अनुचित, इत्यादि।
संख्यावाचक के तीन मुख्य भेद हैं (sankhya vachak visheshan)
- निश्चित संख्यावचाक
- अनिश्चित संख्यावचाक
- परिणामवाचक
निश्चित संख्या का बोध कराने वाले शब्दों एक . तीन, दस इत्यादि को निश्चित संख्या वाचक विशेषण हैं। प्रयोग के आधार पर निश्चित संख्यावाचक विशेषण के पाँच भेद हैं।
(क) गणनावाचक (ख) क्रमवाचक (ग) आव्रतिवातक (घ) समुदायबोधक तथा (ड) प्रत्येकबोधक
संख्यावाचक विशेषण का मुख्य भेद परिमाणबोधक विशेषण है। यह किसी वस्तु की मात्रा का बोध कराने वाले शब्द हैं; उदाहरण– थोडा, बहुत, इत्यादि। परिमाणबोधक विशेषण के दो भेद हैं। – निश्चयवाचक तथा अनिश्चयवाचक
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विशेषण की रचना ( Visheshan ki Rachna)
विशेषण विकारी तथा अविकारी दोनों होते हैं। अविकारी विशेषण के रूपों में परिवर्तन नहीं होता। ये अपने मूल रूप में हमेशा रहते हैं- लाल, सुन्दर , गोल , भारी , इत्यादि।
कुछ विशेषण संंज्ञाओं में प्रत्यय लगाकर बनते हैं; उदाहरण– बल +वान =बलवान, आत्मा + ईय़ = आत्मीय , दान + ई =दानी,
तुलनात्मक विशेषण हिन्दी में मूल शब्द में ‘तर‘ और ‘तम‘ लगाकर बनाए जाते हैं। उदाहरण– लघु से लघुत्तर , लघुत्तम,
उच्च से उच्चतर, उच्चतम इत्यादि।
विधेय विशेषण उस विशेषण को कहते हैं, जो संज्ञा (विशेष्य) के बाद आता है।
प्रविशेषण (pravisheshan)
विशेषणों की विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं; जैसे – राठौर बहुत अच्छा निशानेबाज है । यहाँ ‘अच्छा ‘ विशेषण की विशेषता बताने वाला शब्द ‘ बहुत ‘ प्रविशेषण है। इसे अन्तर्विशेषण भी कहा जाता है ।
उत्तर- छह
कौन
निचवाचक सर्वनाम
उत्तर- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
उत्तर- अऩिश्चयवाचक सर्वनाम
उत्तर – निश्चयवाचक सर्वनाम
संज्ञा की विशेषता बताने वाले विकारी शब्द को विशेषण ( adjective) कहते हैं।
जैसे- बुद्धिमान लड़की , शब्द में लड़की की विशेषता बताने वाला शब्द बुद्धिमान है, अर्थात बुद्धिमान विशेषण है ।
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