संरचना की दृष्टि से वर्ण भाषा की लघुत्तम ईकाई हैे. वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं , जिसका खण्ड सम्भव नहीं है। जैसे अ् क् च् प् इत्यादि वर्ण के अन्तर्गत अक्षरों की प्रवृत्ति ध्वनि चिन्ह तथा शब्द निर्माण की प्रक्रिया का अध्ययन होता है । वर्ण के उच्चारण समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 46 वर्ण हैं, इसके अतिरिक्त 3 संयुक्त वर्ण , एक मिश्र वर्ण तथा 2 अयोगवाह वर्ण हैं । इन वर्णों को स्वर तथा व्यंजन में बाँटा गया है । वर्णमाला एवं ध्वनियों का उच्चारण स्थान, वाले विराम चिन्ह, वर्णमाला प्रश्न Hindi Varnmala हिंदी वर्णमाला For CTET,STET,UPTET, upsssc, हृस्व, दीर्घ तथा मूल स्वर
वर्णों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है –
- स्वर
- व्यंजन
स्वर
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अवरोध के तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है उसे स्वर कहते हैं।
स्वरों को तीन भागों में विभाजित किया गया है
हस्व स्वर अ इ उ ऋ ( जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है )
मूल स्वर— अ इ उ ऋ
व्यंजनों की संख्या -41
दीर्घ स्वर– आ ई ऊ ए ऐ ओ औ ( जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगता है )
स्वरों की संख्या -11
हिन्दी वर्णामाल में 33 मूल व्यंजन हैं , इसके अतिरिक्त 2 उक्षिप्त व्यंजन , 2 अयोगवाह , एवं 4 संयुक्ताक्षर व्यंजन हैं
- आगत स्वर ऑ
- अग्र स्वर हैं- इ, ई, ए, ऐ
- मध्य स्वर हैं अ
- पश्च स्वर हैं- आ, उ , ऊ, ओ, औ, ऑ
- व्यंजनों की संख्या- 41
- स्पर्श व्यंजनों की संख्या- 27
- अंत स्थ व्यंजनों की संख्या- 4
- ऊष्म व्यंजनों की संख्या- 4
कंठ्य, तालव्य,मूर्धन्य, दन्त ,ओष्ठ्य,वत्सय, स्वरयंत्रीय , उक्षिप्त वर्ण का उच्चारण स्थान क्या है ।
वर्ण नाम | उच्चारण स्थान | अघोष अल्पप्राण | अघोष महाप्राण | सघोष अल्पप्राण | सघोष महाप्राण | सघोष अल्पप्राण नासिक्य |
कंठ्य | कंठ | क | ख | ग | घ | ङ |
तालव्य | तालु(मुँह के भीतर की छत का पिछला भाग) | चत | छ | ज .ज | झ | ञ |
मूर्धन्य | मूर्धा (मुँह के भीतर की छत का अगला भाग) | ट | ठ | ड | ढ | ण |
दंत्य | उपरी दाँतों के निकट से | त | थ | द | ध | न |
ओष्ठ्य | दोनों ओठों से | प | फ | ब | भ | म |
तालव्य | तालु मुँह के भीतर का पिछला भाग | – | श | य | ||
वत्स्य | दंत + मसूडा (दंत मूल से ) | स | र य | |||
दंतोष्ठ्य | ऊपर के दाँत + निचला होंठ | व | ||||
मूर्धन्य | मूर्धा ( भीतर की छत का पिछला भाग ) | ष | ||||
स्वरयंत्रीय | स्वर यंत्र (कंठ के भीतर स्थित) | ह | ||||
उत्क्षिप्त | जिनके उच्चारण में जीभ ऊपर उठकर झटके के साथ नाचे को आये | ड | ढ |
- आगत व्यंजनों की संख्या 2
- संयुक्त व्यंजनों की संख्या 4
- क- वर्ग ध्वनियाँ हैं- क्, ख्, ग्, घ्, ड्,
- च वर्ग ध्वनियाँ – च्, छ् , ज्, झ्,ञ्
- ट वर्ग ध्वनियाँ – ट ठ् ड् ढ् ण् (ड् ढ्)
- त वर्ग ध्वनियाँ त् थ् द् ध् न्
- प वर्ग ध्वनियाँ प् , फ्, ब्, भ्,म्,
- अन्त स्थ व्यंजन हैं- य र ल व
- अर्धस्वर हैं – य व
- लुंठित व्यंजन हैं-र
- पार्शविक व्यंजन है- ल
- ऊष्म संघर्षी व्यंजन हं – स श ष ह
- उत्क्षिप्त व्यंजन हैं- ड् ढ्
- अघोष व्यंजनहैं – प्रत्येक वर्ग के प्रथम और द्वितीय वर्ण तथा फ श ष स
- संघोष व्यंजन हैं – प्रत्येक वर्ग के त्रतीय , चतुर्थ , पंचम वर्ण तथा ड ढ ज य र लव है (एवं सभी स्वर सघोष हैं)
- अल्पप्राण व्यंजन – प्रत्येक वर्ग में प्रथम, ततीय, पंचम , वर्ण, तथा अन्त स्थ वर्ण
- महाप्राण व्यंजन- प्रत्येक वर्ग के द्वितीय व चतुर्थ वर्ण तथा ऊष्ण वर्ण
- नासिक्य व्यंजन हैं – ड , ण , न , म
- कंठ व्यंजन हैं – क्, ख्, ग्, घ, ड्,
प्रश्नोत्तर
उत्तर – श, ष , स, ह
अघोष
उत्तर- अन्त: स्थ व्यंजन
उत्तर- फ
व्यंजन
अकारांत
द
वर्ण (अक्षर)
व्यवस्थित वर्ण समूह को
क, ख
ड, ढ
क, ग
ख , ग
म
उ
स्वर के बाद आने वाली नासिक्य ध्वनियाँ
स्वरयंत्रीय़
कंठ
उक्षिप्त
मूर्धन्य
विराम का अर्थ है , ठहराव या रूकना । जिस तरह हम काम करते समय बीच-बीच में रूकते और फिर आगे बढते हैं, वैसे ही लेखन में भी विराम की आवश्यकता है ।
विऱाम चिन्हों के भेद
- अल्प विराम (,)
- अर्द्ध विराम ( ; )
- पूर्ण विराम ( । )
- प्रश्न चिन्ह ( ? )
- आश्चर्य चिन्ह (!)
- निर्देशक चिन्ह ( -) संयोजक चिन्ह
- कोष्ठक ( )
- अवतरण चिन्ह ( ‘ ‘)
- उप विराम (अपूर्ण विराम )
- वितरण चिन्ह (:-)
- पुनरूक्तिसूचक चिन्ह ( ” “)
- लाघव चिन्ह ( 0)
- लोप चिन्ह (……….)
- पाद चिन्ह ( -)
- दीर्घ उच्चारण चिन्ह (ડ )
- पाद बिन्दु (÷ )
- हंस पद ( ^)
- टीका सूचक ( *,+, +,2)
- विराम का अर्थ है- ठहराव
- कामता प्रसाद गुरु के अनुसार विराम चिन्हों की सँख्या (20)
- अल्प विराम का चिन्ह (,)
- अर्द्ध विराम का चिन्ह (;)
- हंस पद किस विराम का एक और नाम हे – त्रुटि विराम
- ‘ राम कहाँ जा रहा है ‘ इस वाक्य में किस विराम चिन्ह का प्रयोग होगा ?
- पूर्ण विराम चिन्ह का उपयोग किया जाता है —–वाक्य के अंत मे
- उप विराम चिन्ह है (:)
- किस विराम चिन्ह का उपयोगह सर्वाधिक होता है – अल्प विराम
- उद्धरण चिन्ह का प्रयोग कब किया जाता है जब किसी कथन का ज्यों का त्यों लिखा जाता है ।
- संक्षिप्त रूप दिखाने के लिेए विराम चिन्ह (0 )
- निर्देशक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है – संकेत के लिए
- रात्रि -निशा में रिक्त स्थान पर उचित चिन्ह का प्रयोग कीजिए- ( ==)
- लोप निर्देश – …… का प्रयोग कहाँ किया जाता है —- जब किसी पूर्व बात की पुनरूक्ति करनी हो।
वर्णमाला तथा विराम चिन्ह | संज्ञा | सर्वनाम | सन्धि | समास | अनेकार्थी शब्द | विलोम शब्द | रस | छन्द | अलंकार | हिंदी व्याकरण |
वर्णमाला एवं ध्वनियों का उच्चारण स्थान, वाले विराम चिन्ह, वर्णमाला प्रश्न Hindi Varnmala हिंदी वर्णमाला For CTET,STET,UPTET, upsssc, हृस्व, दीर्घ तथा मूल स्वर