एक बार जंगल में एक शेर और चूहा रहता था। शेर अपनी गुफा में सो रहा था तभी वहाँ एक चूहा आ गया और शेर के ऊपर खेलने लगा, जिससे शेर की नींद टूट गयी ,
शेर बहुत गुस्सा हुआ और उसने चूहे को अपने पंजे में पकड़ लिया , और उसे मारने की बात सोचने लगा , छोटा सा चूहा शेर को गुस्सा देख कर बहुत भयभीत हो गया , और वह डर के मारे काँपने लगा ,
वह शेर से बोला – हे शेर राजा , मुझे माफ कर दो , मुझसे गलती हुई जो मैं आप के ऊपर कूदने लगा, अगर आप मुझे छोड़ देगें तो आप की बहुत मेहरबानी होगी, और आपके इस उपकार को मैं समय आने पर जरूर चुकता कर दूँगा।
शेर को चूहे पर दया आ गयी और उसने चूहे को जाने दिया , पर शेर मन ही मन सोच रहा था कि भला यह चूहा मेरी क्या मदद करेगा।
समय बीतता गया और एक बार शेर जंगल में शिकार के लिए घूम रहा था, तभी वह शिकारी के जाल में फंस गया , उसने जाल से निकलने की बहुत कोशिश की परन्तु वह निकल न सका , शेर सहायता के लिए दहाड़ मारने लगा, शेर की आवाज सुनकर चूहा वहाँ आ गया,
चूहे ने अपने नुकीले दाँतों से जाल को कुतर दिया , जिससे शेर आजाद हो गया, शेर ने चूहे को धन्यवाद किया।
Morals (निष्कर्ष)
उस दिन शेर को समझ में आया कि किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए , भगवान ने सबको कोई न कोई शक्ति दी है, और सबकी मदद करनी चाहिए ।
“चूहा और शेर की कहानी – एक अद्भुत गाथा जो हमें सिखाती है कि अक्सर छोटे पैमाने पर भी बड़े निर्णयों का खेल होता है। यह कहानी हमें साहस, बुद्धिमत्ता, और समय पर अपने आप को समर्पित करने की महत्वपूर्ण सीखें देती है।”